बरखा आई...
क्या मस्त सुहाना मौसम है, नदियों में लहरें उठ आई।
ये नील गगन लागे प्यारा, धरती पर हरियाली छायी।
है पवन सुगंधित डोल रही, मौसम मस्त बरखा आयी।
पूर्वा_उत्तरा_रोहिनी बीती, अब नखत भली स्वाति आयी।
सारे वन_उपवन झूम उठे, पपिहे की प्यास मिटा आई।
सारी धरती है हरी_भरी, ज्यों धानी चूनर लहराई।
टकरार हुई मेघों की यूं, मूसलाधार बारिश आई।
सूरज भी जा छुपा बादल में, आसमां में मस्त घटा छाई।
बच्चे मिट्टी में खेल रहे, फ़िर से खुशहाली छाई ।
बरखा आई_बरखा आई, है ख़ुशी साथ अपने लाई।
© Jaya Tripathi
ये नील गगन लागे प्यारा, धरती पर हरियाली छायी।
है पवन सुगंधित डोल रही, मौसम मस्त बरखा आयी।
पूर्वा_उत्तरा_रोहिनी बीती, अब नखत भली स्वाति आयी।
सारे वन_उपवन झूम उठे, पपिहे की प्यास मिटा आई।
सारी धरती है हरी_भरी, ज्यों धानी चूनर लहराई।
टकरार हुई मेघों की यूं, मूसलाधार बारिश आई।
सूरज भी जा छुपा बादल में, आसमां में मस्त घटा छाई।
बच्चे मिट्टी में खेल रहे, फ़िर से खुशहाली छाई ।
बरखा आई_बरखा आई, है ख़ुशी साथ अपने लाई।
© Jaya Tripathi