महफिल से उठकर जो देखा ~~
महफिल से उठकर तो कब के चले गये थे वो,
फिर भी उनकी महक फैली रही देर तक।
दीदार ए हुस्न से ही मिलती थी दिल को ठंडक,
फिर भी चेहरा छुपाते रहे वो आज देर तक।
भूल जाता था जो दिल देख कर उनको धड़कना,
जाने क्यों बिना देखे ही उनको आज धड़का है देर तक।
दिल टूटने...
फिर भी उनकी महक फैली रही देर तक।
दीदार ए हुस्न से ही मिलती थी दिल को ठंडक,
फिर भी चेहरा छुपाते रहे वो आज देर तक।
भूल जाता था जो दिल देख कर उनको धड़कना,
जाने क्यों बिना देखे ही उनको आज धड़का है देर तक।
दिल टूटने...