हर्फ़ दर हर्फ़ लिखूँ तुम्हे
हर्फ़ दर हर्फ़ लिखूँ तुम्हे,
सांस दर सांस चाहूं तुम्हे...!
लिखूं इबादत तुम्हारे होंठो पर,
अपने होंठो से शरबत पिलाऊँ तुम्हे...!
किस्से इश्क़ के तेरे मेरे,
यूँ हो जाये मशहूर शहर भर में,
आ जाये किताब मोहब्बत की,
हर पल में यूँ लिखूँ तुम्हे..!
शिकायत करूँ भी तो क्या,
शिकस्त मिलें तुमसे ही मुझे..!
बन जाये कहानी तेरी मेरी,
कुछ यूँ हो प्रेम कहानी हमारी...!
© रोहित शर्मा "Arjun"
सांस दर सांस चाहूं तुम्हे...!
लिखूं इबादत तुम्हारे होंठो पर,
अपने होंठो से शरबत पिलाऊँ तुम्हे...!
किस्से इश्क़ के तेरे मेरे,
यूँ हो जाये मशहूर शहर भर में,
आ जाये किताब मोहब्बत की,
हर पल में यूँ लिखूँ तुम्हे..!
शिकायत करूँ भी तो क्या,
शिकस्त मिलें तुमसे ही मुझे..!
बन जाये कहानी तेरी मेरी,
कुछ यूँ हो प्रेम कहानी हमारी...!
© रोहित शर्मा "Arjun"