#विश्व कविता दिवस
#तुम मेरे दिल की कलम✍🏼❤
तुम मेरे दिल की कलम कब बन गई
पता ही नहीं चला।
कब मेरे दिल में आकर,मेरे दिल में
बसर कर गई, पता ही नहीं चला
बिना तूझे देखे ,बिना सोचे ,बिना जाने,
कब मेरे जज्बातों से खेल गई पता ही
नहीं चला।
जब भी कोई कुछ बोल देता, दिल को
दु:खा देता,
तब तुम ही मेरे दिल की कलम बन कर
मेरे जज्बातों को कागज पर उतार देती,
परेशान होने की...
तुम मेरे दिल की कलम कब बन गई
पता ही नहीं चला।
कब मेरे दिल में आकर,मेरे दिल में
बसर कर गई, पता ही नहीं चला
बिना तूझे देखे ,बिना सोचे ,बिना जाने,
कब मेरे जज्बातों से खेल गई पता ही
नहीं चला।
जब भी कोई कुछ बोल देता, दिल को
दु:खा देता,
तब तुम ही मेरे दिल की कलम बन कर
मेरे जज्बातों को कागज पर उतार देती,
परेशान होने की...