...

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इन्तकाल
कितनी बात अजीब है ना
चलो बताता हूं
मेरा जीना , उसके
जी का जंजाल हो गया है

सफेद लिबास खरीद लाया
सुना है वो भी एक
ज्यों ही खबर उड़ी के
मेरा इंतकाल हो गया है

जिसने खबर सुनाई उसको
भी बधाई मिली होगी
चूमा होगा माथा , ये तो
कमाल हो गया

जैसे कोई सरकारी मुलाजिम
किसी नौकरी से
रिश्वत के मुकदमें में
बहाल हो गया है

उसको मेरे गुजर जाने का
इतना शौंक था
उसे बताओ मुझे तो गुजरे
साल हो गया है

वो जो कफन पहन कर
चलता था गलियों में
तपती धूप में उसका भी रंग
लाल हो गया है

बड़े होटलों के कमरों में
वो खाता है हज़ारों को
इश्क नाम तो उसके घर की
दाल हो गया है

ये अखबार भी बन्द होगा
तेरी जुबान भी
" दीप " तेरी कलम से फिर
बवाल हो गया है


सफेद लिबास खरीद लाया
सुना है वो भी एक
ज्यों ही खबर उड़ी के
मेरा इंतकाल हो गया है

© दीप