...

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मैंने ये क्या किया।
किनारा ढूँढ़ते ढूँढ़ते खुद को,
समुद्र से दूर कर दिया।
रास्ते की चाह में,
सफर से मुह मोड़ दिया।
आसमान की चाह में ,
ज़मीन से नाता तोड़ दिया।
ज़माने की इस दोड़ में ,
मैंने खुद को दूर कर लिया।
सपनों को पाने की चाह में,
अपनो का साथ छोड़ दिया।
और कहे दिया बदले हैं लोग
पर यहाँ तो बदले थे हम
और सारा इल्ज़ाम ज़हान पें छोड़ दिया।