...

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कुछ भी अच्छा नही लगता
जाने क्यों अब कुछ भी
अच्छा नही लगता
तुम मेरे हो हमदम
ये हकीकत नही लगता

मैं खामोश तन्हा हूं इस कदर
कोई सुनने वाला नही लगता
कह सकूँ दर्द ए दिल
कोई मुझे अपना नही लगता

जिस तरह कत्ल किया
तुमने मोहोब्बत का
तू मेरा महबूब नही लगता
बिछड़ के रोए हम तुमसे
ये अब हमें बाजिब नही लगता

दुनिया मे फरेब बहुत हैं
कोई पहचान का तरीका नही लगता
जो सोच खुदा की हैं आजकल
खुदा भी अब मुझे खुदा नही लगता


© pari