...

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काश हम फिर से बच्चे होते
भले ही थोड़े कच्चे होते
काश हम फिर से बच्चे होते

जब छोटे थे अंजान थे हम
मां कहती है शैतान थे हम
भूख जब जब हम सताती थी
मां प्यार से दूध पिलाती थी
तब आंचल मां के छज्जे होते

काश हम फिर से बच्चे होते
भले ही थोड़े कच्चे होते
काश !!!!!

कुछ बड़े हुए तो खड़े हुए
देखे तो खिलौने पड़े हुए
जब चलता था मै ठुमुक ठुमुक
मां गाती थी कुछ रुनुक झनूक
जब चोट लगे तब रोते थे
गोदी में मां के सोते थे
हम मां के अपने अच्छे होते

काश हम फिर से बच्चे होते
भले ही थोड़े कच्चे होते
काश !!!!!

पता नहीं कब मै जवान हो गया
कहती है मम्मी छोटा था, सायान हो गया
दर्द में मुझको छोटेपन की याद आती है
लगता है प्यार से मेरी बुलाती है
जब कभी बचपन का मेरा जिक्र होता है
आज भी मेरी मां को मेरा फिक्र होता है

हम मां के लिए फिर सच्चे होते
काश हम फिर से बच्चे होते
भले ही थोड़े कच्चे होते
काश हम !!!!!!!!!


© अमन शर्मा