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"आख़िर क्यूं...."
© Shivani Srivastava
तुमको जितना माना, उतना दर्द दिया है तुमने...
कह दो ना एक बार,ऐसा क्यों किया है तुमने ।
दिल ही दिल में रोने को, मजबूर किया है तुमने..
कह दो ना एक बार.... क्यूं ये कसूर किया है तुमने..
जब जाना था, ख़ुद आए क्यूं थे, इतना तो बतलाओ..
अब फिर आवाज़ नहीं दूंगी, पर सच कहकर तो जाओ।
मैं चुप हूं, चुप ही रहती हूं, चुप ही रह जाऊंगी..
सच कहती हूं पर ये सब, कभी भूल न पाऊंगी।
वक्त के संग जो भरा नहीं, वो ज़ख्म दिया है तुमने
कह दो ना एक बार.... ऐसा क्यूं किया है तुमने..
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