...

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ये चांदनी रात क्या सुना रही है
ये चांदनी रात ज़रा मुस्कुरा रही है
हसीन ख्वाबों से मुझे मिला रही है
करवटों में उलझ गई तारो की बातों
ये सिरहाने आकर क्या सुना रही है

हाय इश्क़ ऐसा उठा है चांदनी रातों में
वक़्त बे-वक़्त होकर ये आज़मा रही है
गुज़रती है सर्द हवाओं के साथ ये रातें
फिर क्यों मुझे इतनी ये बेवफ़ा रही है

मचलते हुए उन...