...

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चाय
खयाल ए यार को मन में बैठा कर चाय पी
ज़रा सा रो, जरा मुस्कुरा कर चाय पी


यह दोनों जायके चखे थे एक टेबल पर
रुलाया पहले उसे, फिर हंसा के चाय पी


खून तो नहीं, पीते चाय पीते हैं
हमारे साथ कभी बैठ, आके चाय पी

वहां जो पीते तो यादें अज़ाब बन जाती
तो उसके शहर से कुछ दूर जाकर चाय पी


दो ही काम किए , एक मुझसे प्यार किया
ओर एक उसने बहुत दिल लगाकर चाय पी


बिछड़ने वाले को किस किस तरह नहीं रोका
जब कुछ न बन सका तो आखिर बनाकर चाय पी


जाओ बरसो बाद जो लोटा तो हमने आंसू पिए
और उसने आके यहां, सिर्फ चाय पी