...

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गिल्ली ससुरे जाति है
लिखी हुई किताब की एक बात याद मुझे आती है
बारह हांथ की धोती पहनकर जब गिल्ली ससुरे जाती है
लटक मटक कर चटक चटक कर ऐसी दौड़ लगती है
मानो घर से बस्ता लेकर लड़की पढ़ने जाती है
देर हुई क्यूं बेर हुई तुझे एक भी शर्म न आती है
ऐसा कहते...