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दुनिया के नियम
नियमों से चलती रही है यह दुनिया आज तक,हमने तो बस यही सीखा है।
पर सवाल करने का कहां मिलता है किसी को मौका,सालों से हमने ऐसे ही जिया है।
चलते रहो सबके दिखाए हुए रास्ते पर, खुद को खो भी दिया तो रास्ता नहीं भूलोगे।
जिंदगी निकल भी गई हाथ से तुम्हारे, तब भी कोई क्या कहेगा यह सोचना नहीं छोड़ोगे।
बंध गए हैं हम इन नियमों से, डरने लगे हैं हम अब खुद से।
क्या जरूरी है और ऐसा क्यों है, यह पूछना भी भूल गए हैं।
अपने आप को खो दिया है हमने,और सवाल करना भूल गए हैं।

कुछ पाने के लिए कुछ खोना ज़रूरी है क्या।
दिल लगाने के लिए दिल का जाना ज़रूरी है क्या।
खुश रहने के लिए ज्यादा पैसा होना ज़रूरी है क्या।
ज़िंदगी जीने के लिए शादी करना ज़रूरी है क्या।
प्यार पाने के लिए धोखा खाना ज़रूरी है क्या।
जीवन भर अंधे के रास्ते पर चलते जाना ज़रूरी है क्या।
गम में भी मुस्कुराना जरूरी है क्या।
अपने आप को मजबूत दिखाने के लिए आंसू छुपाना जरूरी है क्या।
वादा करके उसको निभाना ज़रूरी है क्या।

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