निराशा!
केसे हैंडल करू सब
नही हो पा रहा अब
जज्बातों के भोज तले
दब चुका हूं जब।
ये सब तो जानता है मेरा रब
ना जानें वो भी सुनेगा कब
नई होती बर्दाश्त ये दूरियां अब
देख चुका हूं करके सब
देख चूका हूं करके सब।
था बेखौफ जब
नही थी किसी की भी फिक्र तब
रहता था मस्त अपने खयालों में
था बेपरवाह नही थी किसी की भी सुद तब
हो...
नही हो पा रहा अब
जज्बातों के भोज तले
दब चुका हूं जब।
ये सब तो जानता है मेरा रब
ना जानें वो भी सुनेगा कब
नई होती बर्दाश्त ये दूरियां अब
देख चुका हूं करके सब
देख चूका हूं करके सब।
था बेखौफ जब
नही थी किसी की भी फिक्र तब
रहता था मस्त अपने खयालों में
था बेपरवाह नही थी किसी की भी सुद तब
हो...