MAJDOOR
मजदूर की होती है बस एक ही ख्वाहिश,,
अपने परिवार का पेट भरना, एक रोटी की गुंजाइश।।
करता है वो दिन भर काम, भरने के लिए पेट,,
क्योंकि ज्यादा है उसके लिए हर सामान का रेट।।
चलती है उसकी जिंदगी किसी भी तरह,,
तभी आ जाती है अचानक से महामारी की हवा।।
तब भी वो करता है काम चाहे जो भी हो हाल,,
तबीयत खराब हो चाहे हो पूरा बेहाल।।
थोड़ा तो सहायता करो उसकी, थोड़ा तो रख संस्कार,
आखिर तभी तो देश आगे बढ़ेगा, बढ़ेगा संसार।।
होता नहीं है आसान रोज इतना काम करना,,
पर कर लेता है एक मजदूर,,
वो भी क्या करें वो है पैसे से मजबूर।।
© All Rights Reserved
अपने परिवार का पेट भरना, एक रोटी की गुंजाइश।।
करता है वो दिन भर काम, भरने के लिए पेट,,
क्योंकि ज्यादा है उसके लिए हर सामान का रेट।।
चलती है उसकी जिंदगी किसी भी तरह,,
तभी आ जाती है अचानक से महामारी की हवा।।
तब भी वो करता है काम चाहे जो भी हो हाल,,
तबीयत खराब हो चाहे हो पूरा बेहाल।।
थोड़ा तो सहायता करो उसकी, थोड़ा तो रख संस्कार,
आखिर तभी तो देश आगे बढ़ेगा, बढ़ेगा संसार।।
होता नहीं है आसान रोज इतना काम करना,,
पर कर लेता है एक मजदूर,,
वो भी क्या करें वो है पैसे से मजबूर।।
© All Rights Reserved