गज़ल- ऐसे यार चाहिए।
एक दो नहीं हमको वो बेशुमार चाहिए।
जो मेरे गम भुला सकें ऐसे यार चाहिए।
दे सकते हो तो दो मुझे औकात से ज्यादा
जो चुका न सकूं वो उधार चाहिए।
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जो मेरे गम भुला सकें ऐसे यार चाहिए।
दे सकते हो तो दो मुझे औकात से ज्यादा
जो चुका न सकूं वो उधार चाहिए।
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