...

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अमन शान्ति की मांग
अमन शान्ति की माँग है
शहर का बच्चा बच्चा परेशाँ है
ये कैसी राजनीति चुनाव की
चाल है
जिस चाल में बच्चा बच्चा परेशाँ है
अमन शान्ति की गुहार लगाते दिख रहे
अपने आप में सहमें सहमें दिख रहे लोग
न जाने क्यों चुनाव के इस दंगल में
हिंसा अराजकता का बोलबाला है
कहने को तो सभी कह देते हैं
हम देश के रक्षक हैं
फिर क्यों भक्षक बन
मासूमों पे बंदूक ताने हैं
क्या मिलता है इन्हें ऐसा कर के
क्यों करते हैं लोग सियासत के आड़ में
देते एक दूजे को भड़का
क्या इन्हें नहीं पता
अराजकता और हिंसा से
आज तक किसी का न भला हुआ है न होगा
आज तुम आराजकता दिखा खुश हो लोगे
कल जब खुद पे बीतेगी तो रो दोगे
क्या मिलता है इन्हें ऐसा कर के
काँड हो जाने पर
मुआवजा या फिर सहानिभूति जताने
अपनी अपनी रोटियाँ सेकने आ जाते हैं
आखिर क्या मिलता है ऐसा करके
अपने अपनों का खून बहा करके
इन्सानियत का खून हो रहा
आखिर कौन इसे बढ़ावा दे रहा
कहने को इंसानियत का दिखावा
करने के लिए ही तो ये सब हो रहा
बाहर निकला हुआ हर आदमी
आदमी असुरक्षित दिख रहा
कैसा ये प्रचार प्रसार हो रहा
माता पिता के दिलों में
अपने अपने बच्चों के प्रति
ख़ौफ पल रहा
बच्चा भी सहमा सहमा
दिख रहा बम की खबर सुन अभिभावक
दौड़ दौड़ अपने अपने बच्चों को
विद्यालय से घर ला रहे
कैसे भेजेंगे ये अब विद्यालय
जब तक बच्चे घर न पहुँचे
तब तक इन्हें अब चैन न आएगा
हे ईश्वर सुना है इन मासूमों में
तू बसता है तो अब इनकी
सुरक्षा का जिम्मा भी तेरा है
इन्हें सदैव अपनी पनाह में रखना
इतनी सी विनती हमारी सुन लेना
इतनी सी विनती हमारी भी सुन लेना
© Manju Pandey Choubey