...

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श्रृंगार कर लो
दादी वाला झुमका लाया हूं
और एक बिंदिया है छोटी सी
काजल की पतली धार कर लो
आओ सिंदूर का श्रृंगार कर लो

एक नथुनी पड़ा है मां का
साड़ी वो बनारस वाली
पायल की झंकार कर लो
आओ धूप का श्रृंगार कर लो

होठलाली का रंग हल्का भाए
बाल न बंधे तो ही भला
दिलों के टुकड़े चार कर दो
आज देसी ये श्रृंगार कर लो

© अंकित राज "रासो"

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