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दूरी
पास होकर भी क्यों दूर हो रहे हैं हम,
कल की यादें क्यों चूर हो रहीं है अब,
क्यों नहीं दूर हो रहे हैं ये गम,
याद भी नहीं आता जी भर बात हमने की थी कब,
एक ही चीज़ पाने के लिए क्यों मैं खो रहा हूं सब?
ये क्या हो रहा मेरे साथ कोई मुझको यह समझाओ,
या में ही मूर्ख हूं शायद ! अरे कुछ तो बताओ!
अकेला बैठे चार दीवारों के बीच लिख दिया यह सब,
पता नहीं अच्छे से बात फिर करें हम कब!!
© RHYTHM
कल की यादें क्यों चूर हो रहीं है अब,
क्यों नहीं दूर हो रहे हैं ये गम,
याद भी नहीं आता जी भर बात हमने की थी कब,
एक ही चीज़ पाने के लिए क्यों मैं खो रहा हूं सब?
ये क्या हो रहा मेरे साथ कोई मुझको यह समझाओ,
या में ही मूर्ख हूं शायद ! अरे कुछ तो बताओ!
अकेला बैठे चार दीवारों के बीच लिख दिया यह सब,
पता नहीं अच्छे से बात फिर करें हम कब!!
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