बाहों में भर लो
बड़े उलझे हैं ये हालात
खुद से जंग हो जैसे
है टूटी डोर झोंकों से
कटी पतंग हो जैसे
कहीं तो रौशनी होगी
कही...
खुद से जंग हो जैसे
है टूटी डोर झोंकों से
कटी पतंग हो जैसे
कहीं तो रौशनी होगी
कही...