हिंदी के रंग, जीवन के संग
पूर्व से पश्चिम हो या उत्तर से दक्षिण,
सबके अंतर्मन में समायी है प्यारी हिंदी,
हां बोलने का अंदाज,
भिन्न-भिन्न है मगर।
पर लक्ष्य तो है एक।
14 सितंबर 1949 को संविधान में,
इसे दिया गया स्थान।
और यह बन बैठी राजभाषा।
पर हम सभी को,
कोशिश करनी है कि
हिंदी हमारी
राजभाषा, मातृभाषा ही नहीं रहे,
परंतु इसे श्रेष्ठ से...
सबके अंतर्मन में समायी है प्यारी हिंदी,
हां बोलने का अंदाज,
भिन्न-भिन्न है मगर।
पर लक्ष्य तो है एक।
14 सितंबर 1949 को संविधान में,
इसे दिया गया स्थान।
और यह बन बैठी राजभाषा।
पर हम सभी को,
कोशिश करनी है कि
हिंदी हमारी
राजभाषा, मातृभाषा ही नहीं रहे,
परंतु इसे श्रेष्ठ से...