...

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प्यार का लेप
इक तारा पूछा चंदा से
इतनी खुबसूरत कैसे हो ??
क्या रंग खिला है चेहरे का
नही कोई प्रशाधन की जरूरत है
क्या पराग फूलों का लगाती हो
या लेप कोई बेसकिमती है ,
या कुशल हाथों ने गढा तुम्हे
या कोई जादू जानती है।
पास तेरे रहने के लिए
सब तारे होड लगाते है
सच पूछो तो कई बरसों से
हम भी तो जोर लगाते है ।।
मै छोटा नन्हा सा तारा
अनुपम ख्वाहिश ले बैठा हूँ
तेरे मुखडे मे होठो पे
तिल बन करके आ बैठा हूँ।।
सब तारीफ करते है तेरी
पर मै फूला न समाता हूँ
होठों के उपर बैठा मै
बूरी नजरों से तुम्हे बचाता हूँ।।
तुम विश्व मोहिनी हो लेकिन
जंचता तेरे मुख मै ही हूँ
तुम चमक बहुत दिखाती हो
पर अंदर का भाव मै ही तो हूँ।।
चंदा ने कहा सच कहते हो
ये रूप मेरा जो निखरा है
ये लेप प्यार का है तैरा
जिससे मेरा मुखडा दमकता है
ये लेप प्यार का उत्तम है
इसमे इश्वर का अंश भी है
जो समझे नही प्रेम को तो
वह तो बस मूरख का मूरख है।।