...

2 views

पन्ने डायरी के
राम मजबूती देना तेरे हर शख्स को , पत्थरो सा होने से बचाना, कुछ फूल मुरझा जाए, तो भी क्या,तुम मुस्कुराना, और आँखें नम हो, शरीर साथ छोड़े, तो ये भी सही, तुम राम के आगे ही झुक जाना ।

कछु न, जानू के मिथक, का जगत
जे बोऊ प्रेम, जाई जागे प्रेम, कल था छुपा आज होई गा उजागर प्रेम,

बगिया मा खिलत प्रेम, तो कली प्रेम, अउर साची आगे बढ़ाऊ जो, सो मुरझाई पँखुड़िया भी प्रेम, का माघ,पूस, ज्याठ, सावन का पहिला हफ्ता भी प्रेम ।

प्यास सागर पी जाने की थी, है ना शेखर?
सुखा कंठ एक चमच पे शांत भया ।

बदरी की उदासी, नयनो को प्यासी
कपाली चीर, तृष्णा को बुझा दी।

जैयी मैं मथै, सो माखन लेई जाए माखन चोर,
मट्ठा कहिके हिस्से आई,
लाओ माई, मट्ठा संग भात दियो लगाई ।

~शिवम् पाल



© शिवम् पाल