...

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तसल्ली हैं...
जब से आंखें ये खुली हैं,
तब से सपने सतरंगी देखीं हैं
दिल में तपिश इं सपनों की,
हर वक़्त संजोए रखी हैं।
अपने सपनों को जीने की इच्छा,
खुशी से ज़िन्दगी जीने से कम नहीं।
हैं ये सच्चाई कायनात की लिखी,
कभी भी ये झूठी होती नहीं।
पर हर ज़माने में मंज़र बहकाने वाले,
पैदा होते हैं हमें हारते देखने वाले।
गर सपने आसान होते तो वो सपने ना होते,
किसी चौराहे के कोने में पड़ी कचड़े की ढेर होते।
जब जद्दोजहद से सपने होते है हासिल,
तब ज़िन्दगी के मायने लगते असली हैं।
झूम उठता है दिल किसी बच्चे की किलकारी जैसे,
मिलता है आयाम ज़िन्दगी को और दिल को सुकून,
तब ये रूह मिलती चैन और तसल्ली हैं।।

#anirwanchandradutta
#by_devils_pen

© Trance Rudra