यादों का शोर
सांझ हो कि भोर
मन में रहता है तेरी यादों का शोर
ये मुझे सुकूँ नही लेने देता
महफ़िल हो या तन्हाई
कैसे भुला दूं तुम्हे
वो पेड़ की छांव, नदी का किनारा
खेतों की पगडंडियां, ट्यूबवेल की धारा
सब तो याद दिलाती रहती है तुम्हारी।
ये शोर, उठता है जैसे समुंदर की लहर
बहा ले जाती है मुझे तेरी यादों की ओर।
© Saddam_Husen
मन में रहता है तेरी यादों का शोर
ये मुझे सुकूँ नही लेने देता
महफ़िल हो या तन्हाई
कैसे भुला दूं तुम्हे
वो पेड़ की छांव, नदी का किनारा
खेतों की पगडंडियां, ट्यूबवेल की धारा
सब तो याद दिलाती रहती है तुम्हारी।
ये शोर, उठता है जैसे समुंदर की लहर
बहा ले जाती है मुझे तेरी यादों की ओर।
© Saddam_Husen