मजबूरी
#मजबूरी
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
चोरी भी लाजमी है,
क्योंकि यह मेरी मजबूरी है।
काम नहीं मजबूरी है,
दो वक्त की रोटी नसीब...
झूठ नहीं मजबूरी है,
तुम जानों क्या क्या ज़रूरी है;
चोरी भी लाजमी है,
क्योंकि यह मेरी मजबूरी है।
काम नहीं मजबूरी है,
दो वक्त की रोटी नसीब...