खुशियों मेरे माँ से
बिन कहे ही, हर बात सुनती है
अम्मा ज़िन्दगी में रंग बुनती है
रसोई में पिघलती ,प्रेम पकाती है
आखरी में सबसे ,माँ खाना खाती है
डांटती...
अम्मा ज़िन्दगी में रंग बुनती है
रसोई में पिघलती ,प्रेम पकाती है
आखरी में सबसे ,माँ खाना खाती है
डांटती...