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खुशियों मेरे माँ से
बिन कहे ही, हर बात सुनती है
अम्मा ज़िन्दगी में रंग बुनती है
रसोई में पिघलती ,प्रेम पकाती है
आखरी में सबसे ,माँ खाना खाती है
डांटती डपटती , कान खींचती है
संवारती जीवन, स्नेह सींचती है
खुशियों में मेरे ,आंसू बहाती है
रोता हूँ जब जब ,हंस चुप कराती है
करती है कितना कुछ,नहीं जताती है
अम्मा अनवरत ,बस प्रेम लुटाती है
© राइटर मaliक जi.✍
अम्मा ज़िन्दगी में रंग बुनती है
रसोई में पिघलती ,प्रेम पकाती है
आखरी में सबसे ,माँ खाना खाती है
डांटती डपटती , कान खींचती है
संवारती जीवन, स्नेह सींचती है
खुशियों में मेरे ,आंसू बहाती है
रोता हूँ जब जब ,हंस चुप कराती है
करती है कितना कुछ,नहीं जताती है
अम्मा अनवरत ,बस प्रेम लुटाती है
© राइटर मaliक जi.✍
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