...

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मैं याद आऊँगा।
आइना जब देखोगे तब मैं याद आऊँगा।
जुल्फें जब सँवारोगे तब मैं याद आऊँगा।

सोचोंगे पुरानी बातें तब मैं याद आऊँगा।
इश्क को समझोगे तब मैं याद आऊँगा।

तुम्हारे साथ चलता है कोई परछाईं सा!
परछाईं को ढूंढोगे तब मैं याद आऊँगा।

चांद सा खूबसूरत हो! जब कहेगा तुमसे!
उसे जब तुम देखोगे तब मैं याद आऊँगा।

अपनी मोहब्बत, इज़्ज़त सब निछावर करे!
ऐसा दीवाना पाओगे तब मैं याद आऊँगा।

मोहब्बत को जब तुम इबादत बनाओगे!
इबादत को समझोगे तब मैं याद आऊँगा।

याद आऊँगा मैं जब खुद को तन्हा पाओगे!
तन्हाई सताएगी तुम्हें तब मैं याद आऊँगा।

महज़ सी है खूबसूरत ज़िंदगी यार "महज़"!
अधूरी ज़िंदगी जीयोगे तब मैं याद आऊँगा।
© महज़