...

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गज़ल- बातें।
जैसे खामोशी है खिजां, और बहार बातें।
चंद लम्हों की मुलाक़ात, और हज़ार बातें।

मौका मिला है तो क्यों ना फ़ायदा उठाया जाए
कर लेते हैं हम-तुम भी, दो चार बातें।

मेरे लफ्ज़ तो तुम्हें देखकर गुम हो जाते हैं कहीं
मुझसे तुम ही करते रहते हो, बेशुमार बातें।

हमको तो मिलती नहीं कहानियां किराए पर
तुम मगर ले आते हो, उधार बातें।

उदासियां छीन कर ले गई मुस्कुराहट मेरी
करते थे हम भी पहले, खुशगवांर बातें।

करार है हममें-तुममें मोहब्बत का यूंतो
रहती हैं फिर भी जानें क्यूं, बेकरार बातें।

तुम सामने होते हो तो कुछ कहती नहीं हैं
पीछे से तेरा करती हैं, इंतज़ार बातें।
© वरदान