...

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साम।
देख कर सबेरा मैं खुद को कितना पीछे पाता हूं।।
साम मे ढलना अपनी ज़रूरत नही।।
फिर भी रूठे अपने ही ख्यालों मे मै खुद को बहलाता हूं।
कितना दूर हू मै अपने ही यादों से।
अक्सर याद मै खुद को भी आता हू।
कितना अलग हो चुका होगा...