मेरा नाम लिखा था अम्बर पे
मेरी गोद मे सिर रख सोई थी, मेरा नाम लिखा था अम्बर पे
वो चाँद और तारे गवाह बने, जो देखे हमने समंदर पे
तेरा चेहरा जब था नूरानी, मैं बोला चाँद की परछाई
फिर मेली रूह से रूह तू ने, फिर छोड़ गई तू हरजाई
क्यों सपने सजाये खुशियों के, क्यों रोना लिखा इस मंजर पे
वो चाँद और तारे गवाह बने, जो देखे...
वो चाँद और तारे गवाह बने, जो देखे हमने समंदर पे
तेरा चेहरा जब था नूरानी, मैं बोला चाँद की परछाई
फिर मेली रूह से रूह तू ने, फिर छोड़ गई तू हरजाई
क्यों सपने सजाये खुशियों के, क्यों रोना लिखा इस मंजर पे
वो चाँद और तारे गवाह बने, जो देखे...