पिया का चोला
मैंने पिया का चोला ओढ़ लिया
मुझे होश नहीं अब दुनिया का
मैंने पिया का चोला ओढ़ लिया
मैं प्यासी बरखा सी बरसू, मैं पतझड़ में भी क्यों तरसूँ
आकाश में जितने तारे हैं मैं अपने आँचल में भर लूँ
मेरी धानी चुनरिया का आँचल मैंने हवा में बरबस छोड़ दिया
मैंने पिया का चोला ओढ़ लिया
सुनहरी धूप को ओढ़ के मैं बादल में छुपने जाती हूँ
इंद्रधनुष के रंगों से मैं चादर टांक के लाती हूँ
मेरे आँचल में हैं भरी हुयी अनगिनत...
मुझे होश नहीं अब दुनिया का
मैंने पिया का चोला ओढ़ लिया
मैं प्यासी बरखा सी बरसू, मैं पतझड़ में भी क्यों तरसूँ
आकाश में जितने तारे हैं मैं अपने आँचल में भर लूँ
मेरी धानी चुनरिया का आँचल मैंने हवा में बरबस छोड़ दिया
मैंने पिया का चोला ओढ़ लिया
सुनहरी धूप को ओढ़ के मैं बादल में छुपने जाती हूँ
इंद्रधनुष के रंगों से मैं चादर टांक के लाती हूँ
मेरे आँचल में हैं भरी हुयी अनगिनत...