...

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Kuch alag hoon mein
कुछ अलग हूं मैं
मैं मैं नही हूं, मैं वो हूं जो मैं नही हूं
हर समय मेरे अंदर एक बवंडर उठता रहता है
मैं कौन हूं क्या हूं क्यों हूं बस यही सवाल रहता है
जहा लोग सपनो के पीछे भागते है
वही मैं अपने सपने पूरे करने के लिए सोया करता हूं

सबकी जिंदगी में आगे का पता होता है
की आगे हमको क्या करना है ,
और सबकी मंजिल भी साफ नजर आती है
पर मैं अपने आगे सिर्फ अंधेरा ही अंधेरा देखता हूं
जहां ना मंजिल का पता दिखता है और ना ही जिंदगी का

हर कोई अपनी जिंदगी में एक लक्ष्य बना कर चलता है
और मैं ऐसे ही राहगीर की तरह इधर उधर भटकते चलता हूं
हर कोई सुबह उठता है ताजगी महसूस करने के लिए
और मैं उठता हूं , आलर्म बंद करने के लिए

मै तब सोता हूं जब जब सब अपने भविष्य की चिंता करते है
और मैं तब जागता हूं जब मुझे ओवरथिंकिंग करनी होती है
लोगो की जिंदगी में थोड़ी सी कल्पनाएं होती है
मेरी पूरी जिंदगी ही कल्पनाओं से भरी होती है

जहां लोगो को भरी महफिल में रहना अच्छा लगता है
वही मुझे अकेले तन्हा रहना अच्छा लगता है
लोग खाते है जीने के लिए
पर मैं जीने के लिए थोड़ा सा खाता हूं
लोग समस्याओं को देख कर उनसे दूर जाते है
पर मैं खुद समस्याओं के पास जाता हूं

जहां लोगो के आंसु निकल आते है छोटी छोटी बातो पर
वही मुझे अपने दर्द के आंसु देख कर हंसी आ जाते है
लोग प्यार से बात करने के लिए प्यार से बोलते है
पर मैं प्यार से भी बोलूं तो लड़ाई झगड़ा हो जाते है

लोग गम में एक हमसफर ढूढने फिरते है
पर हम अपनी खुशियों में एक दोस्त ढूंढते फिरते है
हर कोई किसी से मोहब्बत इश्क की बीमार पाल लेता है
और मैं खुद के लिए हर बार गलतफहमी पाल लेता हूं

लोग खाते है कसमें वादे जन्मों तक साथ निभाने के
पर मैं उन वादों को तोड़ के निभाने में विश्वास करता हूं
लोग माफ कर देते है अपने की किसी एक गलती को
और गले लगा लेते है बड़े प्यार से फिर से
पर मैं अपने की किसी गलती पर माफी नही देता हू
और बस दो लफ्ज़ कहता हूं चली जाओ मेरी जिंदगी से
© Nishu