...

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नारी
मै
कभी कमजोर नहीं थी
शक्तियाँ मुझमें असीम भरी थी
चाहती अगर बंधन तोड़ दिये होते सारे
कब का तुमको छोड़ चुकी होती
संस्कारो से गर न बांधा गया होता मुझको
मर्यादा कब का तोड़ चुकी होती
मैं कमज़ोर नहीं थी