...

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दौलत
पैसा जिसके पास है,
उसके सर पर ताज है,
बिन दौलत जीवन निर्वाह नहीं,
यज्ञ नहीं अनुष्ठान नहीं।

बिन पैसे प्यार नहीं,
विद्या नहीं व्यापार नहीं,
रहता कोई आधार नहीं,
करते सब स्वीकार्य यही।

सब कुछ नहीं होता है पैसा,
पर पैसे जैसा कोई न दूजा,
घर बंगला और गाड़ी,
नौकर चाकर और अटारी।

सब पैसे से ही है होता,
जिसके पास नहीं है पैसा,
समझे सब उसे ऐसा वैसा,
इज्जत उसे मिलती नहीं,
रिश्ते लोग उससे रखते नहीं।

पैसे के चक्कर में हुए गरीब पड़े हैं,
निरोगी काया नहीं ,मन मुस्काता है नहीं
दूर देश में बसे पड़े हैं,
याद घर में रोते बूढ़े भगवान नहीं