'मन' की ग़ज़ल
खुब रवायत मोहब्बत की देखी
टुटे भी हम बदनाम भी हम हुए
ये जो रिश्ते हैं ना निभते नहीं है
अब दिल...
टुटे भी हम बदनाम भी हम हुए
ये जो रिश्ते हैं ना निभते नहीं है
अब दिल...