...

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लम्हे इंतज़ार के.......
लगने लगे हैं तवील लम्हे इंतज़ार के,
इक पल सदियाँ लग रहे दिन रात के,

अभी ख़्वाब ने दस्तक दी पलकों पर,
और खाली कर दिए आँखें ख़्वाब से,

कोरे से दिल पे मैंने एक नाम लिखा,
मिटे ना, डर में रहता दिले-बेकरार ये,

चाँद सितारे की बातें बेमानी लगते थे,
अब उन ख़्यालों में गुज़रते दिनरात ये,

उसका दिल भी मेरी ही ख़्वाहिश करे,
इस आस में बित रहे दिन इंतज़ार के!