🌸 ग़ज़ल 🌸
थक जाता हूँ तो चुप हो जाता हूँ,
ऐसा भी नहीं कि दिन-रात रोता हूँ।
आज रो लूँ कल से भूल जाऊंगा उसे,
क्या कभी मैं इतना मज़बूत होता हूँ?
कुछ रोज़ से आंखों में सूज़न कम है,
पर ऐसा नहीं कि हर रोज़...
ऐसा भी नहीं कि दिन-रात रोता हूँ।
आज रो लूँ कल से भूल जाऊंगा उसे,
क्या कभी मैं इतना मज़बूत होता हूँ?
कुछ रोज़ से आंखों में सूज़न कम है,
पर ऐसा नहीं कि हर रोज़...