...

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मेरा गांव🤗🤗
शहर की शोरगुल से दूर
मेरा गांव ऐसा लगता है,
जैसे इंद्रधनुष के सातों
रंग बिखर गए हो।।😊

पंछियों का झुंड
दाने के लिए आँगन
में आज भी आती है।।😊

कोयल की कुहू कुहू
भोर में
आज भी गाती है।।😊

लोग हमे आज भी
पिता के नाम से पहचानते है।।😊

लोग आज भी
शाम के वक्त
चौक में मिलते है,
और बाते करते है।।😊

एक आवाज़ में लोग आज भी
दौड़े आते है।।😊

रात को चाँद बहुत सुंदर होता है,
क्योंकि देखने का वक़्त होता है।।😊

झींगुर की आवाज़ साफ सुनाई
देती है,
और दादा दादी आज भी
कहानियाँ सुनाते है।।🤗

झरने की कलकल
मन को मोह लेती है।
चूल्हे पर खाना आज भी
बनाया जाता है।।😊

बच्चे विद्यालय जाते वक्त
बड़ो के पैर आज भी छूते है।
और आज भी सब
साथ ही रहते है।।😊

कुछ अच्छा कुछ बुरा तो है,
पर सकून यही है।।🤗😊

© roshni🙃