...

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दोस्त
दोस्त खुश हूँ मैं, बरसों बाद तुझे आखिर मिल रही है खुशी तेरे हिस्से की,
तेरे सुर्ख़ जज़्बात बयां कर रहे हैं भँवरा तुझ पर मंडरा रहा, तू इसमें ख़ुश है,

देखा है तुझे उस अपने हमनशीं के लिए तड़पते हुए, बस अब ओर नहीं,
अरविंद की ख़्वाहिश ये दुआ है इस शहंशाह-ऐ-रब से, बुरी नज़र से बचाए तुझे I