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वीर जवान
जब जब दिया वीरों ने बलिदान
तब तब थी उनके चेहरों पे मुस्कान
जिगरा चाहिए मौत को खुद गले
लगाने के लिए
ये काम नहीं होता इतना आसान ।

आज से नहीं वर्षों से होता आ रहा ये काम
डटे रहें रणभूमि पर , सबको धूल चटाई है
चाहे चीन हो या हो पाकिस्तान ।

ना होता इनमें फर्क कोई सिख, ईसाई ,
हिन्दू हो या मुसलमान
सरहद पे जाने के बाद रह जाता बस वो एक वीर जवान।

ना आँको इनको पद से
सब है बराबर सम्मान के हकदार
चाहे हो वो युद्ध 1962 का
या हो घाटी गलवान
सबने किए हैं प्राण न्यौछवर मातृभूमि पर
चाहे वो सूबेदार कर्नेल सिंह या हो सिपाही तुकाराम ।

हां शांतिप्रिय हैं वो पर दुश्मन को देते मुंहतोड़ जवाब
खड़े हैं बिना डरे वो चाहे हो सियाचिन या हो रेगिस्तान ।

जब जब दिया वीरों ने बलिदान
तब तब थी उनके चेहरों पर मुस्कान ।

© kavithewriter