...

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विदाई के तारें
सुना है तुम्हारी शादी होने वाली है,
वो मेहरून लहंगा जरूर पहनना,
जो हमारी शादी पे पहनने वाली थी,
क्या हुआ, मेरी नहीं, किसी और की तो दुल्हन बनोगी।

विदाई से पहले वो तारा जरूर देख लेना,
जो हम छत पे बैठ के देखा करते थे,
ना जाने क्या-क्या सपने देखा करते थे।
सपनों का क्या, कभी हकीकत नहीं बनते,
आज भी मेरी रातें उसे देखते हुए गुजरती हैं,
उसे देख के सोच लेना मैंने तुम्हें देख लिया।

आज ये लिखते-लिखते मेरे हाथ कांप गए,
और पन्ने मेरे अश्कों से गीले हो गए।
मेरी बस यही दुआ है, जहां रहो, खुश रहो।
© नि:शब्द