...

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बस यूं ही......💫✍️
जिसके बिना धीमी मेरी रफ्तार रहती है,
जिसके बिना अधूरी खुशी मेरी हर बार रहती है।
सुना है आजकल वो बाहर कम निकलती है,
क्या वो भी मेरे बिना बीमार रहती है।
यूं तो माहिर हूं मैं तो बातें बनाने में,
पर जिसमें जिक्र न आए उसका वो गज़ल बेकार रहती है।
यूं तो मोहब्बत दुनिया भर की कमा रखी है,
मेरी मोहब्बत की बस वही हकदार रहती है।
उसके आंसू हंसी उसकी उसका ही हर कतरा है,
मेरी कहानी के हर पन्ने में वो मेरी सरकार रहती है;
पर क्या वो भी मेरे बिना बीमार रहती है....✍️