...

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कुछ और था
मेरा क़िरदार कुछ और था जो तुमने दिमाग में सोचा वो कुछ और था,
मेरा तो फ़साना भी हक़ीक़त के जैसा रहा हैं जो तूने ख़्वाब सुनाया वो कुछ और था,
हर राज़ में मेरे शामिल रहा हैं तू जो तूने दुनियां को खोल बताया वो कुछ और था,
हक़ जताया था तुझे अपना मान कर जो तूने प्यार में जताया वो कुछ और था,
मैंने सबक लिया था इश्क़ में मिटने का पर जो तूने पाठ पढ़ाया वो कुछ और था,
इश्क़ में ज़हर भी पीना पड़ता हैं पर ज़हर बोलकर तूने जो पिलाया वो कुछ और था,
ना वाकिफ नहीं हूं वफ़ा से पर वफ़ा के नाम पे जो तूने खेल दिखाया वो कुछ और था।
साथ चाहिए था ज़िन्दगी भर का साथ बोलकर तूने जो निभाया वो कुछ और था।
'ताज'
© taj