...

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अवसर
प्रभु ! मत भेजो अपनी नांव अभी .. सहने दो आतप छाँव अभी .......

तुमने कितनी आशाओं से

सौंपा था मुझको यह जीवन .

उत्तम कुल, उत्तम धर्म दिया

कर्मठ काया व अदभुत मन ..



भारत जैसी दी कर्मभूमि

प्रेरणा भरे गुरु , दिव्य संत .

गौरवमय ग्रंथों के संकुल

ज्योतित हैं जिनसे दिग-दिगंत ..



उन्नत ललाट हिमगिरि – रक्षित

पावन नदियों से सिक्त हृदय .

तेजोमय रवि की प्रथम किरण

प्रांगण में करती शक्ति - उदय ..



तुमने मुझमें निज श्वास भरी

चेतन इन्द्रिय व बुद्धि प्रखर .

प्रति...