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ए शहर, देख लौट आया हूँ मैं
बरसों जो इरादे किए थे मैंने
और जो ख़ुद से किये थे मैंने
वो वादे निभाने आया हूँ मैं
ए शहर, देख लौट आया हूँ मैं

वो रास्ते और वो मरहले
वो चौराहे और वो फ़ासले
पैरों से अपने रोंदने आया हूँ मैं
ए शहर, देख लौट आया हूँ मैं

हज़ारों ख़्वाब लाखों मुरादें हैं मेरे जहन में
वक़्त की रवानी के साथ बहने आया हूँ मैं
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