अल्जाइमर
कुछ चेहरे, कुछ काम मैं भूल जाता हूँ
आज-कल तो मैं, अपना मुकाम भूल जाता हूँ
बहुत सोचता हूँ, पर याद ही नहीं आता
और तो और मैं अपना, ही नाम भूल जाता हूँ
चलता हूँ थोड़ी देर, बाद में ठहर जाता हूँ
चलते चलते मैं अपना शहर भूल जाता हूँ
आज-कल तो मैं अपना मुकाम भूल जाता हूँ
ढेर है सपनों का, मेरी आँखों में समाया हुआ
पर निंद हीं नहीं लगती, मैं सोना भूल जाता हूँ
आज-कल तो मैं अपना आराम भूल जाता हूँ
उम्र हों गई है शायद, यह मुझे भी है मालूम
उम्र का तकाजा है, डॉक्टर भी बोलता है गुमसुम
उदासी सी छाई रहती है, फिर भी रोना भूल जाता हूँ
आज-कल तो मैं अपना, जाम भूल जाता हूँ
_पहल
आज-कल तो मैं, अपना मुकाम भूल जाता हूँ
बहुत सोचता हूँ, पर याद ही नहीं आता
और तो और मैं अपना, ही नाम भूल जाता हूँ
चलता हूँ थोड़ी देर, बाद में ठहर जाता हूँ
चलते चलते मैं अपना शहर भूल जाता हूँ
आज-कल तो मैं अपना मुकाम भूल जाता हूँ
ढेर है सपनों का, मेरी आँखों में समाया हुआ
पर निंद हीं नहीं लगती, मैं सोना भूल जाता हूँ
आज-कल तो मैं अपना आराम भूल जाता हूँ
उम्र हों गई है शायद, यह मुझे भी है मालूम
उम्र का तकाजा है, डॉक्टर भी बोलता है गुमसुम
उदासी सी छाई रहती है, फिर भी रोना भूल जाता हूँ
आज-कल तो मैं अपना, जाम भूल जाता हूँ
_पहल