...

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तन्हाई की मुस्कान
मुस्कुराते हैं हम
क्योंकि मुस्कुराना चाहते हैं।

तन्हाई में भी अपने आपको
ऐसे ही आजमाते हैं
चाहे कोई कितना भी रहे पास
फिर भी तनहाई में रहना चाहते हैं
मुस्कुराते हैं हम
क्योंकि मुस्कुराना चाहते हैं।

तन्हाई के आलम में हम
ऐसे ही रहना चाहते हैं
क्योंकि तन्हा रह कर ही हम
अपने आपको जान पाते हैं
मुस्कुराते हैं हम
क्योंकि मुस्कुराना चाहते हैं।

दिन हो या रात
हम तभी तन्हाई में खो जाते हैं
कहना मुश्किल होगा हमारे लिए कि
हम आपके बिन जी नहीं पाते हैं
मुस्कुराते हैं हम
क्योंकि मुस्कुराना चाहते हैं।

तन्हाई के कुछ पलों के लिए हम
बेचैन से हो जाते हैं
इसलिए जब भी वक्त मिलता है तो
हम अच्छे से कुछ लिख पाते हैं
मुस्कुराते हैं हम
क्योंकि मुस्कुराना चाहते हैं।

तन्हाई की मुस्कुराहट को
कोई देख नहीं पाते हैं
इसलिए हम इसका कोई
रास्ता खोजना चाहते हैं
मुस्कुराते हैं हम
क्योंकि मुस्कुराना चाहते हैं।

तन्हाई की मुस्कुराहट को हम
दिल से कागज पर उतर पाते हैं
हम आपको अपनी मुस्कुराहट
ऐसे ही दिखाना चाहते हैं
मुस्कुराते हैं हम
क्योंकि मुस्कुराना चाहते हैं।

_काजल