मेरी पहचान
चुप रहूं या बोल दूं,
या कुछ ऐसे डोल दूं।
मैं निष्ठुर अनजान कोई,
क्या राज जुबां से खोल दूं!।।
मैं निर्झर निर्मल सा,
आक्रोश मेरा दुर्बल सा।
सादगी ही पहचान मेरी,
क्या मैं कल कल करना छोड़ दूं!।।
दूध सा उज्ज्वल चरित्र मेरा,
कर जाऊं हर कर्म...
या कुछ ऐसे डोल दूं।
मैं निष्ठुर अनजान कोई,
क्या राज जुबां से खोल दूं!।।
मैं निर्झर निर्मल सा,
आक्रोश मेरा दुर्बल सा।
सादगी ही पहचान मेरी,
क्या मैं कल कल करना छोड़ दूं!।।
दूध सा उज्ज्वल चरित्र मेरा,
कर जाऊं हर कर्म...