डोर
डोर डोर से बनते हैं रिश्ते
उस डोर को कभी न उलझने देना
जो कभी उलझ जाए वो
उसे अपने हाथ से सुलझा लेना
रिश्तों में कभी दुरिया आए
तो कस के डोर को खीच लेना
नए धागे के मिलने...
उस डोर को कभी न उलझने देना
जो कभी उलझ जाए वो
उसे अपने हाथ से सुलझा लेना
रिश्तों में कभी दुरिया आए
तो कस के डोर को खीच लेना
नए धागे के मिलने...